मैंने उन्हें आजमाने की कोशिश किया वह पहले ही इंतहान में फेल हो गए इतनी बड़ी जिम्मेदारी उनको सौपे तो कैसे उनके तैयार होने तक रुकना पड़ेगा या कोई और रास्ता निकालना पड़ेगा
वह जख्म देकर मरहम लगाती है क्या बताऊं कितना सताती है ना जाने मेरे दिल को कौन सी मजबूरी है ठोकर खाने के बाद भी उसी स्थान पर पहुंचता है